ग्रह, तारे और राशियों का हमारे जीवन पर बहुत प्रभावित होता हैं और वे हमारे पिछले जीवन के कर्मों को भी दर्शाते हैं। हमारे जन्म के समय, वे यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि आने वाले समय में हमारा जीवन कैसा रहेगा। अपने भविष्य के रहस्य को जानने के लिए में जन्म तिथि, समय और स्थान के अलावा ग्रहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। नेटल चार्ट अर्थात जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति जीवन के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को दर्शाने का कार्य करती हैं। ज्योतिष में ग्रहों की अच्छी स्थिति को योग और खराब स्थिति को दोष कहा जाता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी कुंडली में दोष तब होता है जब जन्म कुंडली में ग्रहों की कुछ प्रतिकूल या नकारात्मक स्थितियां मौजूद होती हैं। जन्म कुंडली किसी भी भाव में पाप ग्रहों की स्थिति अच्छे और सकारात्मक पहलुओं को भी प्रभावित कर सकती है। आज हम जन्म कुंडली में बनने वाले ऐसे ही नकारात्मक केमद्रुम दोष के बारे में जानेंगे? और पता लगाएंगे कि केमद्रुम दोष क्या है? केमद्रुम दोष के लक्षण या प्रभाव क्या है और साथ ही जानेंगे केमद्रुम दोष के उपाय।
केमद्रुम दोष जन्म कुंडली में बनने वाले सबसे खतरनाक दोषों में से एक है। केमद्रुम दोष का संबंध मन के शासक और भावनाओं के शासक चंद्रमा से जुड़ा है। इसलिए जातक के जीवन में इस दोष का बहुत ही नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।
किसी कुंडली में केमद्रुम दोष तब होता है जब जन्म कुंडली में चंद्रमा के दोनों ओर कोई ग्रह न हो। यदि चंद्रमा से द्वितीय भाव और द्वादश भाव किसी भी ग्रह से मुक्त हों तो केमद्रुम दोष होता है। यह एक बेहद ही अशुभ दोष है।
अपनी जन्म कुंडली में केमद्रुम दोष से पीड़ित जातक को जीवन में कई संघर्षों और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
वैसे तो केमद्रुम दोष एक बेहद ही खतरनाक दोष है लेकिन नीचे दिए गए वैदिक ज्योतिष उपायों के माध्यम से केमद्रुम दोष के प्रभावों को कम किया जा सकता है।
हमारे विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा आपकी निजी कुंडली का गहन विश्लेषण कर ग्रह, उनकी स्थिति और दषा महादशा के आधार पर अनूठे व्यक्तिगत उपाय सुझाए जाते हैं। इन उपायों में यज्ञ व हवन शालाओं सहित कई तरह के अनुष्ठान और पूजाएं शामिल है। उपरोक्त पूजा अनुष्ठान और हवन यज्ञों के लिए आपकी कुंडली के आधार पर ही विशेष समय का चयन किया जाता है, जिससे आपके जीवन को प्रभावित करने वाले दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके।