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उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र (सिंह राशि के 26°40′ से कन्या राशि 10°00′ तक)

सिंह राशि में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के अंतर्गत डेनेबोला अर्थात बीटा-लियोनिस (एक उज्जवल तारा) व 93-लियोनिस(एक धुंधला तारा) नामक दो तारे निहित हैं| उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के प्रतीक एक चारपाई के पिछले दो पाए हैं जोकि विश्राम व कायाकल्प को दर्शाते हैं| लेकिन यह नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी से थोडा कम आरामदेह है| उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में विश्राम अवधि के बाद पुनः कार्य पर लौटने की तैयारी भी शामिल है। संरक्षण और दया के देव अर्यमन इस नक्षत्र के अधिपति देवता हैं जो उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में जन्में लोगों को एक सभ्य व सुसंस्कृत दृष्टिकोण प्रदान करते हैं| इस नक्षत्र में उत्पन्न लोग महान, विश्वसनीय और उदार होते हैं। वे दूसरों की मदद करने और उचित सामाजिक शिष्टाचार का पालन करने के लिए काफी जागरूक रहते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है जो इस नक्षत्र में उत्पन्न लोगों को चमक, समृद्धि, दान और परोपकारिता के गुण प्रदान करता है| इस नक्षत्र में रचनात्मक अभिव्यक्ति को सूत्रबद्ध करने व समझ विकसित करने की क्षमता है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में पैदा लोग आत्मनिर्भर, स्वतंत्र व समाज में अपना मार्ग स्वयं बनाने का प्रयास करते हैं। इस नक्षत्र में एक क्रूर व कठोर ऊर्जा हो सकती है लेकिन अंततः यह तीव्रता सम्मान और संतुलन प्रदान करती है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र दया और मित्रता से संबंधित नक्षत्र है|

सामान्य विशेषताएँ: स्वतंत्र, प्रसन्न, मैत्रीपूर्ण, महान, पूजनीय, सफल, आराम और विलासिता में जीने वाला, दूसरों की चिकित्सा करने पर जोर|
अनुवाद: “परवर्ती अंजीर वृक्ष”,
प्रतीक: चारपाई के पिछले दो पाए
पशु प्रतीक: सांड
अधिपति देव: संरक्षण और दया के देव अर्यमन
शासक ग्रह: सूर्य
सूर्य ग्रह के अधिपति देव: शिव
प्रकृति: मनुष्य (मानव)
ढंग: संतुलित
संख्या: 12
लिंग: स्त्री
दोष: वात
गुण: राजसिक
तत्व: अग्नि
प्रकृति: स्थिर
पक्षी: भौंरा
सामान्य नाम: कनेर
वानस्पतिक नाम: नेरियम ओलेंडर
बीज ध्वनि: टे, टो, पा, पी
ग्रह से संबंध: सिंह राशि के स्वामी के रूप में सूर्य व कन्या राशि के स्वामी के रूप में बुध इस नक्षत्र से संबंधित है|
प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पद कहते हैं| उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के विभिन्न पदों में जन्म लेने वाले लोगों के अधिक विशिष्ट लक्षण होते हैं:
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पद:

प्रथम पद सिंह राशि का 26°40′ – 30° 00′ भाग गुरु ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: टे
सूचक शब्द: नैतिक
द्वितीय पद कन्या राशि का 00°00′- 3°20′ भाग शनि ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: टो
सूचक शब्द: व्यावहारिक
तृतीय पद कन्या राशि का 3°20′ – 6°40′ भाग शनि ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: पा
सूचक शब्द: सेवा
चतुर्थ पद/td>

कन्या राशि का 6°40′ – 10°00′ भाग गुरु ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: पी
सूचक शब्द: भेदक

शक्ति: लोकप्रिय, कठिन परिश्रमी, महत्वाकांक्षी, शक्तिशाली लोगों से लाभ, उत्तम वक्ता, सफल, मैत्रीपूर्ण, विश्वसनीय, केंद्रित, प्रसन्न प्रकृति, भौतिक सुखों व विलासिता से प्रेम करने वाला, भौतिक इच्छाएं पूर्ण होती हैं, जीवन का आनंद लेने की क्षमता, उदार, दृढ सिद्धांतों वाला, संतुलित नेता, प्रसन्न, सामाजिक रूप से माहिर, सामान्यतः भाग्यशाली, दरियादिल, दयालु, करुणामय, साहस, धैर्य, आध्यात्मिक और मानसिक उन्नति|

कमजोरियाँ: अनैतिक, परोपकारी, अहंकारी, बेचैन, दूसरों की भावनाओं को महत्वहीन समझने वाला, जिद्दी, पृथक, शासन करने वाला, व्यर्थ, अभिमानी, जिद्दी, आलोचनात्मक, क्रोधी, एक सामाजिक आरोही, मोहक मुस्कान के पीछे क्रोधी या दुखी हो सकता है और आत्मविश्वास की कमी।

कार्यक्षेत्र: मनोरंजनकर्ता, संगीतकार, कलाकार, प्रबंधक, नेता, महान खिलाड़ी, संगठन प्रमुख, शिक्षक, उपदेशक, समाज-सेवी, विवाह परामर्शदाता, सेक्स चिकित्सक, राजनयिक, संस्थापक, बैंककर्मी, ऋणदाता, सामाजिक कार्यकर्ता, सलाहकार, समस्त प्रभावशाली पदों को संभालने वाला|

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में जन्में प्रसिद्ध लोग: शॉन कॉनरी, जैक निकोलसन, अलेक्जेंडर ग्राहम बेल, मेल गिब्सन, अगाथा क्रिस्टी

अनुकूल गतिविधियां: विवाह, यौन क्रियाकलाप, नई गतिविधियाँ प्रारंभ करना, किसी संगठन की स्थापना करना, बड़े अधिकारी से व्यवहार, प्रशासनिक कार्य, नया घर खरीदना, उद्घाटन करना, समारोहों का आयोजन करना, दान करना, कूटनीति तथा नए वस्त्र या गहने पहनना|

प्रतिकूल गतिविधियां: समापन, कठोर व्यवहार पर आधारित गतिविधियाँ, विरोध, प्रतिशोध, युद्ध तथा धन उधार देना|

पवित्र मंदिर:
इडियातरु मंगलम श्री मांगल्येश्वर

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र से संबंधित यह पवित्र मंदिर भारत में तमिलनाडु के पच्चमपट्टू के निकट इडियातरु मंगलम में स्थित है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में पैदा हुए लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इस पवित्र मंदिर के दर्शन करके यहाँ पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए|

उत्तराफाल्गुनी विवाह आदि जैसे प्रमुख उत्सवों को संपन्न करने हेतु एक सहायक नक्षत्र है। विवाह के शुभ समय के दौरान ‘अमृत काल’ नामक शुभ समयकाल होता है तथा केवल सिद्धों को समय का गुप्त ज्ञान होता है। महान ऋषि श्री मांगल्य महर्षि उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के समयकाल के दौरान प्रकट हुए थे तथा वह अमृत काल के महत्व को जानते थे। इडियातरु मंगलम श्री मांगल्येश्वर मंदिर में एक विवाह समारोह के दौरान श्री मांगल्य महर्षि अपनी पत्नी मंगली देवी सहित एक विवाह हेतु सूत्र बंधन अनुष्ठान का संचालन करने के लिए प्रकट हुए थे| श्री मांगल्य महर्षि ने अगस्त्य, वशिष्ठ व भैरव आदि महाऋषियों के विवाह समारोह के दौरान भी यह सूत्र बंधन अनुष्ठान संपन्न किया था|

श्री मांगल्य महर्षि की पत्नी मंगली देवी ने कभी भी उत्तराफाल्गुनी मंडल का त्याग नहीं किया। उन्होंने इस मंडल में रहने का फैसला किया क्योंकि यहाँ उन्हें सबकुछ जानने की क्षमता प्राप्त हुई थी| मंगली देवी ने हमेशा ईश्वर के समान अपने पति पूजा की। यहाँ अनेक परिवार शुभ विवाह की प्राप्ति हेतु एक प्राचीन पूजा करते हैं। जिन महिलाओं को दीर्घ सुखी विवाहित जीवन का आशीर्वाद प्राप्त हुआ उन्हें घर बुलाकर भोजन कराया जाता है| इसके उपरांत परिवार के लोग मंदिर में हल्दी, केसर, साड़ी, ब्लाउज, चूड़ी, ताम्बूल पत्र, सुपारी, एक चांदी का बिछुआ और पुष्प अर्पित करते हैं| इस अनुष्ठान के दौरान मंगली देवी प्रकट होकर एक अनुकूल विवाह हेतु अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं|

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र दिवस पर इडियातरु मंगलम में भगवान शिव की पवित्र दिव्य ऊर्जा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है जो सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ आशीर्वाद प्रदान करती है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में उत्पन्न लोगों के लिए इस मंदिर के दर्शन करके प्रसाद चढ़ाना लाभकारी है| के लिए फायदेमंद है। विवाह के अतिरिक्त जो लोग पैर के रोगों से पीड़ित हैं उन्हें दर्द से मुक्ति हेतु इस पवित्र मंदिर में जाकर भगवान शिव को भोग अर्पित करना चाहिए|

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में जन्में लोगों के लिए वेदों द्वारा निर्धारित धूप पीपल नामक जड़ी-बूटी से निर्मित है|

इस धूप को जलाना उस विशिष्ट नक्षत्र हेतु एक लघु यज्ञ अनुष्ठान करने के समान है| एक विशिष्ट जन्मनक्षत्र के निमित किए गए इस लघु अनुष्ठान द्वारा आप अपने ग्रहों की आन्तरिक उर्जा से जुड़कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे|

एक विशिष्ट नक्षत्र दिवस पर अन्य नक्षत्र धूपों को जलाने से आप उस दिन के नक्षत्र की ऊर्जा से जुड़कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करते हैं| आपको यह सलाह दी जाती है कि आप कम से कम अपने व्यक्तिगत नक्षत्र से जुड़ी धूप को प्रतिदिन जलाएं ताकि आपको उस नक्षत्र से जुड़ी सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती रहे|

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