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रेवती नक्षत्र

रेवती (मीन राशि में 16°40′ – 30°00′ तक)

रेवती सत्ताईसवाँ व अंतिम नक्षत्र है। रात्रि के आकाश में रेवती नक्षत्र मीन राशि के अंतर्गत आने वाले तारा समूहों में दिखाई देता है| इस तारा समूह का सबसे उज्जवल तारा जीटा पिसाईम है| इस नक्षत्र के अधिपति देव पूषा हैं जो पोषण प्रदान करके किसी भी व्यक्ति के जीवन को उज्जवल बनाने की क्षमता रखते हैं| यह नक्षत्र सुरक्षित व सार्थक यात्राओं से भी संबंधित है| रेवती का अर्थ “धनी” है तथा यह नक्षत्र बुध द्वारा शासित होता है| बुध ग्रह के शासक व लक्ष्मी जी के पति भगवान विष्णु धन-संपदा व समृद्धि के प्रतीक हैं। इस नक्षत्र में पैदा लोग विनम्र, आकर्षक व सामाजिक होते हैं| उनका स्वभाव परिष्कृत होता है तथा वे सहयोग या सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। रेवती सर्वाधिक आशावादी व सम्मानित नक्षत्रों में से एक है जो विशाल लक्ष्य बनाकर उन्हें प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करता है|

सामान्य विशेषताएँ: सुंदर अंग, मिलनसार स्वभाव, गहन पांडित्य, धनी, दूसरों की संपत्ति हड़पने की कोई इच्छा नहीं।
अनुवाद: “धनी”
प्रतीक: एक ढोल या समुद्र में तैरती एक मछली
पशु प्रतीक: एक हथिनी
अधिपति देव: पूषा, पोषण प्रदाता व पशु समूह के संरक्षक, जिनका आवाहन सुरक्षित यात्रा के लिए किया जाता है|
शासक ग्रह: बुध
बुध ग्रह के अधिपति देव: विष्णु
प्रकृति: देव (देव तुल्य)
ढंग: संतुलित
संख्या: 27
लिंग: स्त्री
दोष: कफ
गुण: सात्विक
तत्व: आकाश
प्रकृति: मृदु व कोमल
पक्षी: खेरमुतिया
सामान्य नाम: महुआ
वानस्पतिक नाम: मधुका इंडिका
बीज ध्वनि: `दे, दो, चा, ची
ग्रह से संबंध: मीन राशि के स्वामी के रूप में गुरु इस नक्षत्र से संबंधित है जो करुणा देता है| जबकि केतु पूर्णता की ऊर्जा प्रदान करता है|

प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पद कहते हैं| रेवती नक्षत्र के विभिन्न पदों में जन्म लेने वाले लोगों के अधिक विशिष्ट लक्षण होते हैं:

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पद:

प्रथम पद मीन राशि का 16°40′ – 20°00′ भाग गुरु ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: दे
सूचक शब्द: उत्साह
द्वितीय पद मीन राशि का 20°00′ – 23°20′ भाग शनि ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: दो
सूचक शब्द: व्यावहारिकता
तृतीय पद मीन राशि का 23°20′ – 26°40′ भाग शनि ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: चा
सूचक शब्द: परोपकारी
चतुर्थ पद मीन राशि का 26°40′ – 30°00′ भाग गुरु ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: ची
सूचक शब्द: काल्पनिक

शक्ति: रचनात्मक चिंतक, स्वतंत्र, भाग्यशाली, सबका पसंदीदा, सहायक और दूसरों से समर्थित, कला के क्षेत्र में प्रतिभाशाली, पोषणकर्ता, जल्दी से तरक्की करने वाला, साहसी, चापलूसी करने में माहिर, मिलनसार, उत्तम परामर्शदाता, अभिमानी, उज्ज्वल व्यक्तित्व, जानवरों और पालतू पशुओं से प्रेम व उनकी रक्षा करने वाला, दीर्घायु, अच्छी तरह से तैयार, अच्छी स्वच्छता रखने वाला, एक धनी परिवार में पैदा हो सकता है, प्राचीन संस्कृतियों में रुचि रखने वाला, निस्वार्थ, दयालु और ख्याल रखने वाला

कमजोरियाँ: द्वेषपूर्ण विशेषकर जब उसे चोट पहुंचाई जाए या उससे ईर्ष्या की जाए, अति आसक्त, अन्य लोगों से बहुत अधिक समस्याएं उठाता है, जिसके परिणामस्वरूप खराब स्वास्थ्य, अनैतिक व्यवहार, संदेहास्पद प्रवृति, अल्प उर्वरता, बहुत अधिक देने वाला और जब बदले में कुछ न मिले तब क्रोधित, अपर्याप्त महसूस करने वाला, आत्मसम्मान की कमी, अति संवेदनशील, जिद्दी, अस्थिर, सह निर्भर, आसानी से निराश हो जाने वाला, आत्मविश्वास का अभाव, पीड़ित, प्रेम की कमी व असुरक्षित महसूस करता है।

कार्यक्षेत्र: दान कार्य, मानवतावादी, शहरी योजनाकार, सरकारी कर्मचारी, मनौवैज्ञानिक, रहस्यमय या धार्मिक कार्य, सम्मोहनकारी व्यक्ति, यात्रा एजेंट, पत्रकार, संपादक, प्रकाशक, अभिनेता, हास्य अभिनेता, राजनेता, चित्रकार, संगीतकार, मनोरंजन करने वाला, भाषाविद्, जादूगर, घड़ीसाज, सड़क योजनाकार, ज्योतिषी, प्रबंधक, रत्न विक्रेता, नौ-परिवहण उद्योग, अनाथालय में देखभाल करना या पालक, मोटरगाड़ी संबंधी व्यवसाय, हवाई यातायात नियंत्रण, यातायात पुलिस, घर के हल्के कार्य

रेवती नक्षत्र में जन्में प्रसिद्ध लोग: व्हिटनी ह्यूस्टन, मार्लोन ब्रैंडो, रॉडनी किंग, जिम जोन्स, जो पेस्सी, रवींद्रनाथ टैगोर

अनुकूल गतिविधियां: व्यापारिक या वित्तीय मामले, माल का लेन-देन, संगीत, नाटक, रचनात्मक गतिविधियाँ; दान कार्य, आध्यात्मिक या गुप्त शिक्षाओं का अध्ययन करना, रोगों का उपचार करना, अवकाश व विश्राम से जुड़ी गतिविधियाँ,कार्य को पूर्ण करना या समापन करना

प्रतिकूल गतिविधियां: कठोर रणनीति या साहसिक कार्य से संबंधित गतिविधियाँ, बाधाओं से उभरना, शत्रुता,
आपदा, तीव्र क्रियाएं, शल्य चिकित्सा, रेवती के अंतिम दो पद नए कार्य प्रारंभ करने के लिए सहायक नहीं हैं।

पवित्र मंदिर:
करुकुड़ी श्री करुनाककरावल्ली सामेधा श्री कैलाश नाथर मंदिर

श्री करुनाककरावल्ली सामेधा श्री कैलाश नाथर मंदिर भारत में तमिलनाडु के ठाठियानगर के निकट करुकुड़ी गांव में स्थित है। यह पवित्र मंदिर रेवती नक्षत्र की उर्जा से जुड़ा हुआ है| रेवती चंद्रमा से विवाह करने वाली सत्ताईसवीं तथा अंतिम देवी थी। इस अंतिम विवाह समारोह के पश्चात चंद्रमा श्री कैलाशा पेरुमन (देवी अम्भिगई) के दर्शन करना चाहते थे| देवी ने उनकी इच्छा को पूर्ण किया तथा इस मंदिर में करुनाककरावल्ली के रूप में दर्शन देकर अपना आशीर्वाद दिया| चूंकि चंद्रमा और तथा सताईस नक्षत्रों के रूप में उनकी पत्नियों ने यहाँ श्री करुनाककरावल्ली सामेधा श्री कैलाश नाथर की पूजा की थी इसलिए भगवान शिव वर्धमान चंद्रमा के रूप में प्रकट हुए थे|

करुकुड़ी मंदिर में भगवान शिव की उर्वरता आकाश की ऊर्जा के रूप में प्रकट होती है। यह मंदिर आकाश से दर्शन प्राप्त करने के लिए एक शुभ स्थल है। प्राचीन काल में इस मंदिर में लोग प्रचुर मात्रा में वर्षा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा करते थे। इस मंदिर में सप्तमी तिथि व रेवती नक्षत्र दिवस पर भगवान इंद्र ने आकाश की पूजा की थी। रविवार व रेवती नक्षत्र का संयोजन इस मंदिर की दिव्य ऊर्जा से जुड़ने के लिए शुभ माना जाता है| इस मंदिर में चिकित्सीय गुणों से भरपूर जड़ी बूटियां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं जो जल से संबंधित रोगों का इलाज करने के लिए प्रयुक्त होती हैं| इस मंदिर की दिव्य ऊर्जा नेत्रों से संबंधित रोगों को भी ठीक करने की क्षमता रखती है। रेवती नक्षत्र दिवस पर यहाँ 64 प्रकार के पवित्र जल, धन व फल द्वारा अभिषेक किया जाता है| यह पवित्र भोग किसी भी व्यक्ति के वंश से संबंधित सभी प्रकार की चिंताओं को दूर करता है|

रेवती समस्त नक्षत्रों में सर्वाधिक कोमल नक्षत्र है जो शुद्ध सफेद रंग का प्रकाश उत्सर्जित करता है। इसलिए इस मंदिर में सफेद वस्त्र, सफेद खाद्य पदार्थ व सफेद वस्तुएं अर्पित करने की सलाह दी जाती है| कपास की एक माला, चावल के आटे से निर्मित एक दीपक, गमछा, नारियल, दूध व सफेद मिठाई करुकुड़ी मंदिर में रेवती नक्षत्र की ऊर्जा का आह्वान करने के लिए उपयुक्त प्रसाद माने जाते हैं। इस मंदिर में 27 प्रकार के उपहार एक शक्तिशाली भेंट के रूप में ग़रीबों में बाँटे जा सकते हैं। रेवती नक्षत्र में जन्में लोगों को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस पवित्र मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए| अन्य नक्षत्रों में जन्में लोग भी भय व चिंता से मुक्त होने के लिए यहाँ अभिषेक व पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

रेवती नक्षत्र में जन्में लोगों के लिए वेदों द्वारा निर्धारित धूप महुआ नामक जड़ी-बूटी से निर्मित है|

इस धूप को जलाना उस विशिष्ट नक्षत्र हेतु एक लघु यज्ञ अनुष्ठान करने के समान है| एक विशिष्ट जन्मनक्षत्र के निमित किए गए इस लघु अनुष्ठान द्वारा आप अपने ग्रहों की आन्तरिक उर्जा से जुड़कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे|

एक विशिष्ट नक्षत्र दिवस पर अन्य नक्षत्र धूपों को जलाने से आप उस दिन के नक्षत्र की ऊर्जा से जुड़कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करते हैं| आपको यह सलाह दी जाती है कि आप कम से कम अपने व्यक्तिगत नक्षत्र से जुड़ी धूप को प्रतिदिन जलाएं ताकि आपको उस नक्षत्र से जुड़ी सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती रहे|

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